======Soul is eternal============
“Om Namo Bhagavate Vasudevayah”
प्राणियों के लिए मृत्यु निःसंदेह ही सबसे भयावह घटना है| लेकिन जैसा हमने पहले यह विवेचन किया, जन्म और मृत्यु एक भौतिक परिवर्तन मात्र है जीवन का कभी अंत नही होता| शरीर प्रकृति से उत्त्पन्न होता है और मृत्यु के बाद प्रकृति में पुनः मिल जाता है| शरीर का स्वामि आत्मा कभी इस परिवर्तन से प्रभावित नही होता| सत्य तो यह है आत्मा न कभी जन्म लेता है और नही ही इसकी कभी मृत्यु ही होती है | यह तो हर एक काल में अजन्मा, अजर-अमर और सनातन है|
Ch2:Sh20:
न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो- न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
भावार्थ : यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न ही यह जन्म लेकर अस्तित्व में आता है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता॥
Ch2:Sh23
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
भावार्थ : इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता॥
Ch2:Sh24:
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥
भावार्थ : क्योंकि यह आत्मा अच्छेद्य(शस्त्रों से क्षतिग्रस्त न होने वाला )है, अदाह्य(अग्नि में न जलने वाला) है, अक्लेद्य(पानी में न गलने वाला) और निःसंदेह ही अशोष्य(वायु द्वारा न सूखने वाला) है |यह (आत्मा) नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन(सर्वव्याप्त) है॥
~~English~~
Death is indeed one of the most feared phenomenon for human. But as we discussed in earlier posts, birth and death is but a physical change. The abstract entity soul, which is the owner of the body, is never spoiled. In fact soul never takes birth neither does it ends. Soul is eternal. Please find these references:
Ch2:Sh20:
Na jayate mriyate va kadachi na ayam bhutva bhavita va na bhuyah,
ajo nityah shashvato ayam purano nan hanyate hanyamane sharire.
"There is neither birth nor death of soul at anytime, It does not comes into existence after being born. It is unborn, eternal, ever-existing and primeval. Soul is not killed when body is slain."
Ch2:Sh23
nainam chindanti sastrani nainam dahati pavakah
na cainam kledayanty apo na sosayati marutah
Weapon can not harm the soul, fire cannot burn it, water cannot wet the soul and wind cannot make it dry.
Ch2.Sh24
Achedyo adahayo achledyo ashoshya eva cha,
nityah sarvagatah sthanur chalo ayam sanatnah.
"The soul is indestructible and incombustible, it can neither be wetted nor dried. It is eternal. It is all-prevading, stable, immovable and everlasting
“Om Namo Bhagavate Vasudevayah”
प्राणियों के लिए मृत्यु निःसंदेह ही सबसे भयावह घटना है| लेकिन जैसा हमने पहले यह विवेचन किया, जन्म और मृत्यु एक भौतिक परिवर्तन मात्र है जीवन का कभी अंत नही होता| शरीर प्रकृति से उत्त्पन्न होता है और मृत्यु के बाद प्रकृति में पुनः मिल जाता है| शरीर का स्वामि आत्मा कभी इस परिवर्तन से प्रभावित नही होता| सत्य तो यह है आत्मा न कभी जन्म लेता है और नही ही इसकी कभी मृत्यु ही होती है | यह तो हर एक काल में अजन्मा, अजर-अमर और सनातन है|
Ch2:Sh20:
न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो- न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
भावार्थ : यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न ही यह जन्म लेकर अस्तित्व में आता है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता॥
Ch2:Sh23
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
भावार्थ : इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता॥
Ch2:Sh24:
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥
भावार्थ : क्योंकि यह आत्मा अच्छेद्य(शस्त्रों से क्षतिग्रस्त न होने वाला )है, अदाह्य(अग्नि में न जलने वाला) है, अक्लेद्य(पानी में न गलने वाला) और निःसंदेह ही अशोष्य(वायु द्वारा न सूखने वाला) है |यह (आत्मा) नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन(सर्वव्याप्त) है॥
~~English~~
Death is indeed one of the most feared phenomenon for human. But as we discussed in earlier posts, birth and death is but a physical change. The abstract entity soul, which is the owner of the body, is never spoiled. In fact soul never takes birth neither does it ends. Soul is eternal. Please find these references:
Ch2:Sh20:
Na jayate mriyate va kadachi na ayam bhutva bhavita va na bhuyah,
ajo nityah shashvato ayam purano nan hanyate hanyamane sharire.
"There is neither birth nor death of soul at anytime, It does not comes into existence after being born. It is unborn, eternal, ever-existing and primeval. Soul is not killed when body is slain."
Ch2:Sh23
nainam chindanti sastrani nainam dahati pavakah
na cainam kledayanty apo na sosayati marutah
Weapon can not harm the soul, fire cannot burn it, water cannot wet the soul and wind cannot make it dry.
Ch2.Sh24
Achedyo adahayo achledyo ashoshya eva cha,
nityah sarvagatah sthanur chalo ayam sanatnah.
"The soul is indestructible and incombustible, it can neither be wetted nor dried. It is eternal. It is all-prevading, stable, immovable and everlasting
Thank you ;))))
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